Monday 25 June 2012

दूर हों खामियां 
हरियाणा में शिक्षकों की भर्ती राज्य सरकार की कड़ी परीक्षा लेती दिखाई दे रही है। पदों की संख्या, कैटीगरी, आवेदन के मापदंड, योग्यता आदि के अलावा भर्ती प्रक्रिया जैसे कई मुद्दों पर बार-बार उंगली उठ रही है। वर्षो से रिक्त पदों को एकमुश्त भरने की सरकार की कोशिश तभी साकार रूप ले सकती है जब आवेदन से लेकर साक्षात्कार तक हर पहलू पर गहन मंथन हो और क्रमबद्ध तरीके से भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया जाए। सबसे पहले विवादों को रोकना होगा। हरियाणा लोकसेवा आयोग की लेक्चरर भर्ती में तीसरा विवाद सामने आ चुका है। उम्मीदवार के आवेदन पर आपत्ति लगाकर उसे रद कर दिया गया और अजीबो-गरीब तरीके से फिर बुलाकर साक्षात्कार लिया गया। प्रक्रिया में इतने मोड़ आने के बाद सहज रूप से समझा जा सकता है कि आवेदक के साथ कितना न्याय हो पाया होगा। उम्मीदवारी को सही साबित करने के लिए आवेदक ने तमाम दस्तावेज प्रस्तुत किए लेकिन फिर भी विश्वास नहीं किया गया। साक्षात्कार के लिए भी टेलीग्राम से बुलाया गया जो नियमों के अनुसार सही नहीं है। यहां लोकसेवा आयोग की समूची भर्ती प्रक्रिया को संदेह के घेरे में नहीं लाया जा रहा परंतु आयोग को यह तो सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी विसंगतियां बार-बार सामने न आएं। हर आवेदक को चयन न होने के कारणों पर संतुष्ट किया जाना चाहिए, किसी भी पात्र को वंचित नहीं किया जाना चाहिए। माना कि सरकार व शिक्षा विभाग भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए प्रयासरत हैं पर इसकी कमजोर कडि़यों को भी ढूंढ़कर उनका निराकरण करना आवश्यक है ताकि निर्मल व्यवस्था पर टाट जैसे पैबंद लगाने की नौबत न आए। राज्य में पीजीटी के 15 हजार से अधिक पदों के लिए आवेदन मांग लिए गए हैं। अध्यापक भर्ती बोर्ड का भी गठन हो गया है। इसके बाद टीजीटी और जेबीटी के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। तात्पर्य यह है कि अगले कुछ महीनों में गहमागहमी बढ़ जाएगी और यदि प्रक्रिया की खामियों को दुरुस्त नहीं किया गया तो विवादों के बोझ से मूल उद्देश्य में ही भटकाव आ सकता है। सरकार प्रदेश को शिक्षा का हब बनाने के दावे कर रही है, इस दिशा में काम भी हुआ। शिक्षकों के सभी रिक्त पद भरने के प्रयासों को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। सरकार सुनिश्चित करे कि भर्ती प्रक्रिया पर उंगली न उठे क्योंकि इससे सरकार की छवि और व्यवस्था की विश्वसनीयता सीधे तौर पर जुड़ी है।



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