Sunday, 30 September 2012

पदोन्नति के आदेश से अध्यापकों में खुशी


पदोन्नति के आदेश से अध्यापकों में खुशी
जागरण संवाद केंद्र, कैथल : 2000 में लगे जेबीटी अध्यापकों की पदोन्नति संबंधी मामले में 27 सितंबर को उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को जेबीटी अध्यापकों ने ऐतिहासिक व स्वागत योग्य बताया। इस फैसले लगभग तीन हजार अध्यापकों में खुशी छा गई है। उच्च न्यायालय ने बहुप्रतिक्षित मामले की सुनवाई के बाद 2000 में लगे अध्यापकों की पदोन्नति न करने के हरियाणा सरकार के फैसले की आलोचना की और उन्हे चार माह में पदोन्नति देने के आदेश दिए है।
क्या था मामला : 2006 में हरियाणा सरकार की ओर से 3206 जेबीटी अध्यापकों की भर्ती की गई थी। इसे 2003 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले की सुनवाई करते हुए भर्ती हुए अध्यापकों को मामले में पार्टी बनाने से मना कर दिया, लेकिन पूरी भर्ती की सीबीआइ जाच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, अजय चौटाला व तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार आइएएस सहित 56 अधिकारियों को आरोपी बनाया था। रोशन लाल पंवार बनाम हरियाणा राज्य के केस का फैसला करते हुए माननीय न्यायाधीश एजी मसीह ने सरकार द्वारा पदोन्नति न करने के लिए दिए तर्को को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि भर्ती से संबंधित यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है, लेकिन इस आधार पर इन अध्यापकों को पदोन्नति या अन्य लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता है। अध्यापकों को चार माह में पदोन्नति देने के आदेश दिए। अध्यापकों को इस मामले में न्याय मिलने पर राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ हरियाणा के राज्य वरिष्ठ उपप्रधान सरदार सुखा सिंह, प्रवक्ता दलीप बिश्नोई, रोशन लाल पंवार, बलवान छौत, मनोज नैन, लखविन्द्र सिंह, राजबीर कौल, कुलदीप नैन, अनिल बूरा, राजेश बैनीवाल, अशोक वर्मा, अमरनाथ, राजेन्द्र गुल्यिाणा, अशोक धीमान, राकेश रत्‍‌न, सतबीर बुढाखेड़ा, सतीश फ्रासवाला ने संबंधित अध्यापकों को बधाई दी।

मिड-डे-मील योजना तोड़ सकती दम
नरेश पंवार, कैथल
गैस एजेंसियों द्वारा अचानक स्कूलों में मिड-डे-मील तैयार करने के लिए दिए जाने वाले गैस सिलेंडरों के कीमतों में वृद्धि होने से मिड-डे- मील योजना पर भी अब सीधा असर पड़ेगा।
आज तक साधारण कीमतों पर उपलब्ध होने वाले सिलेंडर अब स्कूलों को 1001 रुपये में दिया जाएगा जो पहले की तुलना में तीन गुणा महंगा प्राप्त होगा।

स्कूलों के लिए गैस सिलेंडर लेने गए अध्यापकों का समूहों को उस समय जोर का झटका लगा जब वे गैस एजेंसी में सिलेंडर लेने गए क्योंकि इस बढ़ोतरी से संबंधित न तो कोई आदेश विभाग से अभी तक स्कूलों में पहुचा है और न ही अतिरिक्त राशि उपलब्ध करवाई गई।
कैसे बनेगा मिड-डे-मील
स्कूलों में खाना तैयार करने के लिए सरकार द्वारा केवल बीस पैसे प्रति बच्चा शुरू से उपलब्ध करवाया जा रहा है, जिससे बहुत मुश्किल से स्कूलों में समय पर खाना दिया जा रहा है।
सरकार द्वारा मिड-डे-मील रेसिपी में परिवर्तन करके रोटी व दाल, चावल व सब्जी आदि लागू करने के बाद ईधन की सप्लाई लगभग दोगुनी हो गई लेकिन उसके लिए दी जाने वाली राशि में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। इसके कारण इस व्यवस्था को अनमने ढग से निभाया जा रहा था।
अध्यापकों व स्वयं सहायता समूहों को यह चिंता सताए जा रही है कि आखिर किस प्रकार बीस पैसे प्रति छात्र दी जाने वाली राशि से गैस के सिलेंडर भरवाए जा सकेंगे।
गैस एजेंसियों के कर्मचारियों ने बताया कि इस बारे में उन्हे इ-मेल द्वारा सूचना मिली है कि अब सभी सरकारी व सामाजिक संस्थाओं से प्रति सिलेंडर 1001 रुपये चार्ज किया जाएगा। इसके बारे में अधिक जानकारी तो कम्पनी के बड़े अधिकारी ही दे सकते है।
सरकार गंभीर नहीं : प्राथमिक शिक्षक संघ हरियाणा के जिला प्रधान रोशन लाल पंवार ने कहा कि सरकार मिड-डे- मील योजना को चलाने में गम्भीर नहीं है। इस दाम पर एजेंसिया मिड-डे- मील सिलेंडर स्कूलों को दे रही है, वह बिना सब्सिडी के मिलने वाले सिलेंडरों से भी ज्यादा है। सरकार चाहती है कि योजना बंद होने का ठीकरा अध्यापकों के सिर पर फोड़ा जा सके, लेकिन प्राथमिक शिक्षक संघ इसे किसी कीमत पर सहन नहीं करेगा।
















C.W.P.No.23173 of 2010


Date of Disposal :     Thursday, September 27, 2012
Last Listed On :     Thursday, September 27, 2012
List Type :  Ordinary     

FIR No. :   NO FIR DETAILS AVAILABLE / NOT A CRIMINAL CASE
   

Category :  GOVT SERVICE (HY)-sb     

Bench for Next Hearing Dt :  MR. JUSTICE AUGUSTINE GEORGE MASIH,---,---     Bench Sl. No : 208     

Bench for Last Hearing Dt :  MR. JUSTICE AUGUSTINE GEORGE MASIH,---,---     Bench Sl. No : 214     
CONNECTED APPLICATION (S)
No Connected Application.
    
CONNECTED MATTER (S)

   CWP     2377   of   2011
Case Updated on:   Thursday, September 27, 2012 
    
                       C.W.P.No.23173 of 2010 -1-
IN THE HIGH COURT OF PUNJAB AND HARYANAAT 
CHANDIGARH
Date of Decision:- 27.09.2012
C.W.P.No.23173 of 2010
Roshan Lal and others ....Petitioner(s)
vs.
State of Haryana and others ....Respondent(s)
C.W.P.No.2377 of 2011
Satyawan and others ....Petitioner(s)
vs.
State of Haryana and others ....Respondent(s)
***
CORAM:-   HON'BLE MR.JUSTICE AUGUSTINE GEORGE MASIH
***
Present:- Mr.Rajbir Sehrawat, Advocate,
for the petitioners in CWP No.23173 of 2010.
Mr.C.R.Dahiya, Advocate,
for the petitioners in CWP No.2377 of 2011.
Mr.Harish Rathee, Sr.D.A.G., Haryana.
***
AUGUSTINE GEORGE MASIH, J. (Oral)
By this order, I propose to dispose of two writ petitions i.e.
C.W.P.No.23173 of 2010 and C.W.P.No.2377 of 2011 as common questions
of facts and law are involved therein.
For the sake of convenience, facts are being taken from CWP
No.23173 of 2010.   C.W.P.No.23173 of 2010 -2-
Petitioners have approached this Court asserting that they were
appointed as JBT Teachers in pursuance to the selection made in the year
2000 and that the JBT Teachers who were appointed in the subsequent
batches in pursuance to the selection held in the years 2001 and 2004, have
already been promoted to the posts of Masters/Mistresses according to the
statutory Rules. Petitioners have been denied the said benefit only on the
ground that their selection is under challenge before the Supreme Court and
the matter has been entrusted by the Supreme Court to the Central Bureau of
Investigation (for short 'CBI') for determining the genuineness of the two
lists, which are purported to be available on record, as to which one should
be given effect to. This, counsel for the petitioners, contends cannot be
made a ground for not considering the claim of the petitioners for promotion
especially when till date the petitioners formed the cadre of JBT Teachers,
they are continuing as such. He places reliance upon the order passed by
this Court in CWP No.10970 of 2009 Anil Kumar and others vs. State of
Haryana and others, decided on 10.11.2010 (Annexure P-6) and prays for
issuance of the same directions.
Counsel for the respondents, on the other hand, contends that
the claim as made by the petitioners in the present writ petition cannot be
accepted in the light of the observations made by the Supreme Court in the
selection of JBT Teachers of the year 2000 which is pending before it. He
contends that it has been observed by the Supreme Court in its order while
entrusting the investigation to the CBI that on the result of the enquiry
would depend the fate of these two sets of persons. It is only one set of
persons which would be found to be genuine and hence entitled to hold theC.W.P.No.23173 of 2010 -3-
posts of teachers and the persons from list, if found to be false, shall have to
make room for the others. He, on this basis, contends that the claim of the
petitioners for promotion cannot be granted. Accordingly, he prays for
dismissal of the writ petitions.
I have considered the submissions made by the counsel for the
parties and with their assistance have gone through the records of the case.
As is apparent from the assertions made by the counsel for the
parties, petitioners belong to the 2000 Batch of selected JBT Teachers.
They are serving with the respondents since the date of their appointment.
Subsequent to the selection and appointment of the petitioners, selection of
JBT Teachers has been made in the years 2001 and 2004, of which selected
and appointed candidates, have already been given promotion on the posts
of Masters/Mistresses. Petitioners are being denied promotion merely on
the ground that the matter pertaining to their selection is under challenge
and pending consideration before the Supreme Court wherein a CBI enquiry
has been marked. Nothing has been placed on record which would entitle
the respondents for non-consideration of the claim of the petitioners for
promotion. That apart, whether the list from which the petitioners have
been appointed or the other list is a genuine list, has to be determined and at
this stage, it cannot be said that the petitioners have been selected wrongly
and there is nothing on record which would suggest that their appointment
and selection are not in consonance with law as of now.
In the light of the above and taking these aspects into
consideration, this Court in Anil Kumar's case (supra) had disposed of the
writ petition with a direction to the respondent-State to consider the case ofC.W.P.No.23173 of 2010 -4-
the petitioners for promotion in terms of the eligibility criteria laid down
within a period of four months from the date of receipt of certified copy of
the order. The stand of the respondents in the present writ petition also
cannot be accepted for non-consideration of the claim of the petitioners.
Taking into consideration the facts and circumstances, the
present writ petitions are disposed of with directions to the respondents to
consider the claim of the petitioners for promotion to the posts of
Masters/Mistresses in accordance with law, within a period of four months
from the date of receipt of certified copy of this order.
September  27,  2012    ( AUGUSTINE GEORGE MASIH )
poonam             JUDGE
आइएसएस संजीव कुमार और अन्य आरोप मुक्त
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सीबीआइ की विशेष अदालत ने हरियाणा के वरिष्ठ आइएसएस संजीव कुमार और अन्य को भ्रष्टाचार के दो अलग-अलग मामलों में शुक्रवार को आरोप मुक्त कर दिया। अदालत में सीबीआइ आरोप साबित नहीं कर सकी। बचाव पक्ष की ओर से मामले में आरोप मुक्त किए जाने की अर्जी दायर की गई थी, जिस पर बहस के बाद अदालत ने अर्जी को मंजूर कर लिया। वर्ष 1999 में किताबों की छपाई घोटाले में नाम आने के बाद 1985 बैच के आइएएस संजीव कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत कई मामले दर्ज किए गए थे। वर्ष 1999-2000 में सीबीआइ ने संजीव कुमार पर प्राथमिक शिक्षा परिषद के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते हुए वीडियो टेप बनवाने और खरीदने में अनियमितताएं बरतने जाने का आरोपी बनाया था। सीबीआइ ने मामले में जिला प्रोजेक्ट कार्डिनेटर किरण मिश्रा के अलावा हैड क्लर्क जेपी भटनागर और स्टोरकीपिंग का कार्य देखने वाले सुशांत स्वान सह आरोपी बना गया था। मामले में अन्य आरोपी राजकुमार शर्मा सरकारी गवाह बन गया था


हरियाणा राज्य सरकार ने सभी कर्मचारियों के लिए एक नयी सुविधा की शुरुआत ई-सैलरी वेबसाईट पर की है। यह सुविधा हरियाणा सरकार के सभी विभागों के कर्मचारियों के लिए है। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए कर्मचारियों को सबसे पहले ई-सैलरी वेबसाईट पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। उसके बाद वे अपनी किसी भी मास की तनख्वाह का ब्यौरा, जीपीएफ/ पीआरएएन (PRAN) में जमा राशि का ब्यौरा, वार्षिक वेतन रिपोर्ट तथा पे-स्लिप आदि सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।


 कैसे होगा रजिस्ट्रेशन: हरियाणा के सभी कर्मचारी, जिनका वेतन ई-सैलरी के माध्यम से जमा होता है, उन सबको एक यूनिक पेई कोड (UNIQUE PAYEE CODE) अर्थात
UCP मिला हुआ है, जो सम्बंधित डीडीओ के पास उपलब्ध है। यह कोड अपने डीडीओ से प्राप्त करने के उपरान्त आप निम्न प्रकार से रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं:

1. सबसे पहले www.esalaryhry.nic.in वेबसाईट खोलिए।
2. जो पेज खुलेगा, उसमें आपको USER NAME व अपना पासवर्ड भरने के लिए कहा जायेगा। USER NAME आपका UCP, जो आपने अपने डीडीओ से लिया था, वही भरें। पहली बार के लिए पासवर्ड भी वही रहेगा,  जिसे आप बाद में बदल लेंगे। User Name, पासवर्ड व कोड भरने के बाद LOGIN पर क्लिक करने से आपका होमपेज खुल जाएगा।
3. इसके बाद नयी स्क्रीन पर आपको अपना PRAN नंबर, पैन नंबर, जन्म तिथि, बैंक खाता नंबर, मोबाइल नंबर, ई मेल आईडी भर कर नया पासवर्ड भरना है। उसके पश्चात UPDATE पर क्लिक करने से आपका पासवर्ड बदला जायेगा और अब आप उक्त सभी सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं









Friday, 28 September 2012

Roshan Lal and others ....Petitioner(s) vs. State of Haryana and others ....Respondent(s) C.W.P.No.2377 of 2011


C.W.P.No.23173 of 2010                                                                            -1-
IN THE HIGH COURT OF PUNJAB AND HARYANA AT
CHANDIGARH
Date of Decision:- 27.09.2012
C.W.P.No.23173 of 2010
Roshan Lal and others ....Petitioner(s)
vs.
State of Haryana and others ....Respondent(s)
C.W.P.No.2377 of 2011
Satyawan and others ....Petitioner(s)
vs.
State of Haryana and others ....Respondent(s)
***
CORAM:- HON'BLE MR.JUSTICE AUGUSTINE GEORGE MASIH
***
Present:- Mr.Rajbir Sehrawat, Advocate,
for the petitioners in CWP No.23173 of 2010.
Mr.C.R.Dahiya, Advocate,
for the petitioners in CWP No.2377 of 2011.
Mr.Harish Rathee, Sr.D.A.G., Haryana.
***
AUGUSTINE GEORGE MASIH, J. (Oral)
By this order, I propose to dispose of two writ petitions i.e.
C.W.P.No.23173 of 2010 and C.W.P.No.2377 of 2011 as common questions
of facts and law are involved therein.
For the sake of convenience, facts are being taken from CWP
No.23173 of 2010.
C.W.P.No.23173 of 2010 -2-
Petitioners have approached this Court asserting that they were
appointed as JBT Teachers in pursuance to the selection made in the year
2000 and that the JBT Teachers who were appointed in the subsequent
batches in pursuance to the selection held in the years 2001 and 2004, have
already been promoted to the posts of Masters/Mistresses according to the
statutory Rules. Petitioners have been denied the said benefit only on the
ground that their selection is under challenge before the Supreme Court and
the matter has been entrusted by the Supreme Court to the Central Bureau of
Investigation (for short 'CBI') for determining the genuineness of the two
lists, which are purported to be available on record, as to which one should
be given effect to. This, counsel for the petitioners, contends cannot be
made a ground for not considering the claim of the petitioners for promotion
especially when till date the petitioners formed the cadre of JBT Teachers,
they are continuing as such. He places reliance upon the order passed by
this Court in CWP No.10970 of 2009 Anil Kumar and others vs. State of
Haryana and others, decided on 10.11.2010 (Annexure P-6) and prays for
issuance of the same directions.
Counsel for the respondents, on the other hand, contends that
the claim as made by the petitioners in the present writ petition cannot be
accepted in the light of the observations made by the Supreme Court in the
selection of JBT Teachers of the year 2000 which is pending before it. He
contends that it has been observed by the Supreme Court in its order while
entrusting the investigation to the CBI that on the result of the enquiry
would depend the fate of these two sets of persons. It is only one set of
persons which would be found to be genuine and hence entitled to hold the
C.W.P.No.23173 of 2010 -3-
posts of teachers and the persons from list, if found to be false, shall have to
make room for the others. He, on this basis, contends that the claim of the
petitioners for promotion cannot be granted. Accordingly, he prays for
dismissal of the writ petitions.
I have considered the submissions made by the counsel for the
parties and with their assistance have gone through the records of the case.
As is apparent from the assertions made by the counsel for the
parties, petitioners belong to the 2000 Batch of selected JBT Teachers.
They are serving with the respondents since the date of their appointment.
Subsequent to the selection and appointment of the petitioners, selection of
JBT Teachers has been made in the years 2001 and 2004, of which selected
and appointed candidates, have already been given promotion on the posts
of Masters/Mistresses. Petitioners are being denied promotion merely on
the ground that the matter pertaining to their selection is under challenge
and pending consideration before the Supreme Court wherein a CBI enquiry
has been marked. Nothing has been placed on record which would entitle
the respondents for non-consideration of the claim of the petitioners for
promotion. That apart, whether the list from which the petitioners have
been appointed or the other list is a genuine list, has to be determined and at
this stage, it cannot be said that the petitioners have been selected wrongly
and there is nothing on record which would suggest that their appointment
and selection are not in consonance with law as of now.
In the light of the above and taking these aspects into
consideration, this Court in Anil Kumar's case (supra) had disposed of the
writ petition with a direction to the respondent-State to consider the case of
C.W.P.No.23173 of 2010 -4-
the petitioners for promotion in terms of the eligibility criteria laid down
within a period of four months from the date of receipt of certified copy of
the order. The stand of the respondents in the present writ petition also
cannot be accepted for non-consideration of the claim of the petitioners.
Taking into consideration the facts and circumstances, the
present writ petitions are disposed of with directions to the respondents to
consider the claim of the petitioners for promotion to the posts of
Masters/Mistresses in accordance with law, within a period of four months
from the date of receipt of certified copy of this order.
September 27, 2012 ( AUGUSTINE GEORGE MASIH )
poonam JUDGE

Court Case decision of JBT trs appointed in 2000 ROSHAN LAL V/S STATE OF HARYANA CWP 23173 OF 2010





2 days leave for blood donor

 जेबीटी शिक्षकों को सौगात

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़
ओमप्रकाश चौटाला शासनकाल में भर्ती हुए लगभग तीन हजार जेबीटी शिक्षकों के लिए खुशखबरी है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह वर्ष 2000 में भर्ती किए गए लगभग तीन हजार के करीब जेबीटी टीचर की चार माह के भीतर प्रमोशन करे।
मालूम हो कि राज्य सरकार ने इन जेबीटी टीचर को तरक्की व अन्य लाभ देने पर इस आधार पर रोक लगाई हुई थी कि इस भर्ती की सीबीआइ जांच कर रही है और मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इसके खिलाफ कैथल निवासी रोशनलाल व अन्य ने वर्ष 2010 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि उनकी सर्विस को दस साल से ज्यादा हो गया है, लेकिन सरकार न तो उनका प्रमोशन कर रही है और न ही कोई अन्य लाभ दिया जा रहा।



Tuesday, 18 September 2012

M.Phil. Admission Notice : 2012-13


KURUKSHETRA UNIVERSITY KURUKSHETRA 
(Established by the State Legislature Act XII of 1956) 
(“A” Grade, NAAC Accredited) 
M.Phil. Admission Notice : 2012-13 
Applications are invited for admission to M.Phil. in Hindi, Panjabi, Music & Dance, English, 
Political Science, History, Sanskrit, Ancient Indian History, Cul. & Arch., Public 
Administration, Education, Commerce, Journalism & Mass Communication, Psychology, 
Tourism & Hotel Mgt., Philosophy, Library & Information Sc., Geography and 
Mathematics. Eligibility : Master Degree in concerned subject  with 55% marks.  Minimum 
pass marks for SC/ST candidates.  Entrance Test will be held on 09.10.2012.  
Prospectus (Code No. M.Phil.-12) containing details and Admission Form can be obtained from 
Manager (P&P.), K.U. Kurukshetra by remitting a sum of Rs.850/- (Rs.250/- for SC/BC/Blind 
candidates of Haryana) by DD in favour of Registrar, K.U. payable at Kurukshetra, if required by 
Post.  Price at the counter is Rs.800/- (Rs.200/- SC/BC/Blind candidates of Haryana).  Prospectus 
can also be downloaded from Website: www.kuk.ac.in and Rs.800/-(Rs.200/- for SC/BC/Blind candidates 
of Haryana) may be deposited by the candidate in any CBS Branch of  PNB in India or send DD in favour 
of Registrar, KUK with the downloaded Form. 
Last date for receipt of Application Form is 01.10.2012 in the office of the Chairperson/Director 
of the Department/Institute concerned.  Prospectus will be available for sale from 11.09.2012.
REGISTRAR

Sunday, 16 September 2012


ओमप्रकाश बने राजौंद खंड के प्रधान

Sep 15, 09:10 pm
संवाद सहयोगी, राजौंद : खंड के प्राथमिक शिक्षकों की बैठक शनिवार को राजकीय प्राथमिक पाठशाला में मुख्य शिक्षक रमेश कुमार की अध्यक्षता में हुई। जिलाध्यक्ष रोशन लाल पंवार ने संगठन की आवश्यकता, महता, इतिहास व प्राप्त उद्देश्य एवं निर्धारित उद्देश्यों बारे बताया कि सरकार प्राथमिक शिक्षकों की जायज माग व जायज हकों को देने में आनाकानी कर रही है। जिला प्रधान ने बताया कि संघ की प्रमुख मागो में वरिष्ठता सूची जारी कराना, पदोन्नति मामलों का जल्दी निपटारा कराना, मिडल-हेड में कोटा, प्राथमिक शिक्षकों को कनफर्म करना आदि शामिल हैं। शिक्षक संघ सरकार के साथ आरपार की लड़ाई के लिए तैयार है। बैठक को राजेश बैनीवाल ,रमेश कुमार, संजय राणा, नरेंद्र गौड़, कर्मबीर आदी ने भी संबोधित किया। इसके बाद राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ राजौंद की कार्यकारिणी का गठन किया गया। इसमें ओमप्रकाश को अध्यक्ष, राजबीर को उपाध्यक्ष, कर्मबीर को वरिष्ठ उपाध्यक्ष, ऋषिपाल को कोषाध्यक्ष, राजकुमार को सचिव, पहलवान को संगठन सचिव, प्रैस प्रवक्ता सुखदेव, आडिटर सतपाल,संयोजक धर्म सिंह व राजकुमार को सर्व सम्मति से चुना गया। इस अवसर पर सत्येंद्र पाल, रणदीप सिंह, संतोष कुमारी, राजेश ढुल,राजेश मितल, हरिकृष्ण, वजीर सिंह, नीलकंठ शर्मा, जोगी राम, वेद प्रकाश, पवन वर्मा, सुरेद्र धानिया, रविंद्र लौहान, सोम सिंह, राजबीर, रामनिवास, रोशन लाल, सत्यवीर यादव, जितेंद्र यादव, राजेश कुमार, रणधीर शर्मा, जगजीत सिंह, महावीर, सुरजीत, सुरेश कुमार, जगीर सिंह, अनिल कुमार, रोहताश कुमार, संदीप, विनोद कुमार, राजेंद्र, जोगेंद्र पाल आदि मौजूद थे।



Court Historic decision regarding checking of Answer Sheet under RTI Act.


Students can inspect answer sheets: Supreme Court
Candidates have right to inspect answer sheets: Supreme Court

In a verdict that could bring in more transparency in education system, the Supreme Court on Tuesday said the examinees have a right to inspect their answer sheets under the Right to Information Act.

A Bench comprising Justices R V Raveendran and A K Patnaik said the evaluated answer sheets are covered under the definition of “information” under the transparency law.

The Supreme Court upheld the judgment of the Calcutta High Court, which had said “rejection of the request for inspection of answer sheets could not be sustained” and rejected the contention that disclosure of answer sheets and allowing the inspection would lead to the collapse of the entire system.


It dismissed the appeals filed by the Central Board of Secondary Education (CBSE), West Bengal Board of Secondary Education, West Bengal Council for Higher Education, University of Calcutta, Institute of Chartered Accountants of India and West Bengal Central School Service Commission which had challenged the verdict passed on February 5, 2009.

The Assam Public Service Commission and Bihar Public Service Commission had also opposed the disclosure of answer sheets to examinees. The apex court agreed with the findings of the High Court that the examination conducting bodies do not retain the evaluated answer sheets under any “fiduciary capacity.”

The High Court division bench had earlier said: “We have little hesitation in holding that an assessed or evaluated answer script of an examinee writing a public examination conducted by public bodies like CBSE or universities, which are created by statutes, does come within the purview of “information” as defined in the RTI Act.”

Thursday, 13 September 2012


HARYANA GOVERNMENT -
SCHOOL EDUCATION DEPARTMENT
ORDER
N6-5137-0 // t1 c/
This is an appeal filed by Sh. Sehdev Yadav, Block Education Officer,
Narnaund (Hisar), previously Principal, Govt. Girls Senior Secondary School
Hisar against the order dated 09.03.2012 passed by Director Secondary
Education (DSE), Haryana, Panchkula vide which a penalty of stoppage of one
grade increment without cumulative effect has been inflicted upon the
incumbent.
Brief facts of the case are that the incumbent was chargesheeted under
Rule 8 of Haryana Civil Services (Punishment and Appeal), Rules 1987 vide
order No. 5/37-2011 HRG-I (I) dated 26.07.2011 on the following charges: -
That as per enquiry report dated 09.02.2011, submitted by Joint
Director, Directorate of Elementary Education, Haryana, Panchkula,
Shri Sehdev Yadav, being the Drawing and Disbursing Officer of
Government Primary School No. 7, Hisar in connivance with Smt.
Pushpa Rani, JBT Teacher, from 03.12.2007 to 30.07.2009 granted
short leave more than once in a day and 2/3rd casual leaves in a day
to the said Pushpa Rani, whereas there is no such provision in the
relevant rules.
He replied to the said chargesheet on 29.09.2011 denying all the charges
levelled against him. Thereafter, DSE vide order dated 09.03.2012 imposed a
penalty of stoppage of one grade increment without cumulative effect upon the
incumbent. Hence, this appeal.
In the said appeal, it was stated that on five different dates in year 2008
and 2009, 2/ 3rd casual leaves were sanctioned. He further stated that when
these facts came to his notice, he converted the said 2/ 3 rd leaves into full
casual leave pertaining to the said different dates. The appeal was heard on
25.07.2012. During hearing, the incumbent reiterated the submissions made
in the appeal and requested to absolve him of the charges by reconsidering the
matter in the light of submissions made.
I have gone through the contents of file and chargesheet, reply thereof,
contents of the appeal and submissions made at the time of hearing. It is clear
that the incumbent has sanctioned short leaves and 2/ 3 rd casual leaves on
different dates and in different years of 2008 and 2009 against the Government
instructions dated 09.08.1965 and 22.10.1965 regarding grant of short leave
and late attendance, which has not been complied with at all. Hence, there isno scintilla of doubt that absolute discretion has been used in the matter of
grant of half-day and two-third leaves.
Taking an overall view of the matter, the appeal is rejected, being devoid
of merit.
I order accordingly.
(Surina
Principal Se ry, Govt. of
Regd. Haryana, Sch Education
Sh. Sehdev Yadav, Department
Block Education Officer,
Narnaund (Hisar)
Endst. No. Even Dated Panchkula the
A copy is forwarded to the following for the information and necessary

letter about middle head, ftehabad confermation





Tuesday, 11 September 2012





शिक्षा अधिकारियों पर भी करें कार्रवाई : कोर्ट
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जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि नियमों को ताक पर रखकर 719 अतिथि अध्यापक नियुक्त करने वाले सभी शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने सरकार को छह सप्ताह के भीतर दोषी अधिकारियों से गेस्ट टीचरों को दिए गए वेतन की वसूली का भी आदेश दिया।
सोमवार को सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार ने कोर्ट में गेस्ट टीचर के खिलाफ की गई कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जिस पर कोर्ट ने संतोष जताते हुए सरकार को कहा कि हटाए गए 192 गेस्ट टीचर के अलावा जिन टीचर के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। सरकार ने कोर्ट को बताया कि 719 अतिथि अध्यापकों में से हाई कोर्ट के निर्देश अनुसार 539 के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। नियुक्ति करने वाले 130 स्कूल मुखिया और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और इनके खिलाफ विभाग ने आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ प्रदेश में जेबीटी व टीजीटी अध्यापकों की भर्ती में देरी का मामला आखिरकार पांच महीने बाद फिर सुप्रीम कोर्ट पहंुच गया है। आदेश के बाद भी निर्धारित समय में नियुक्ति प्रक्रिया पर काम नहीं होने के कारण सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है। कोर्ट द्वारा जल्द ही इस पर सुनवाई की जानी है। नियमित शिक्षक भर्ती के संबंध में 20 मार्च को शिक्षा विभाग की मुख्य सचिव सुरीना राजन द्वारा दिए गए भर्ती शेड्यूल व शपथपत्र के आधार पर ही हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को भर्ती के लिए 322 दिन का समय और दिया था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी साफ कर दिया था कि दिए गए शेड्यूल व समय सीमा का पालन न होने पर इसे गंभीर अवमानना माना जाएगा। अतिथि अध्यापकों के कार्यकाल को आगे बढ़ाने से हाई कोर्ट के इन्कार के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया, जिस पर 30 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को थोड़ी राहत देते हुए अतिथि अध्यापकों को 322 दिन और सेवा में रखने की अनुमति दे दी थी। परंतु सुप्रीम कोर्ट ने भी नियमित शिक्षक भर्ती के संबंध में हाई कोर्ट के आदेश में उल्लेखित तय शेड्यूल व समय सीमा का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट में 20 मार्च को शिक्षा विभाग की मुख्य सचिव द्वारा दिया गया शपथपत्र मुख्यत: जेबीटी व टीजीटी अध्यापकों के ही संबंध में था क्योंकि याचिकाकर्ता ने शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने को प्रमुख आधार बनाते हुए कक्षा 1 से 8 तक के लिए नियमित शिक्षकों की भर्ती व खाली पदों का मुद्दा उठाया था। हाई कोर्ट द्वारा दी गई 322 दिन की समय सीमा व उस पर सुप्रीम कोर्ट की मोहर लगने के बाद भी जेबीटी व टीजीटी की भर्ती प्रक्रिया शुरू न करने व सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना न होने के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दी गई है। ऐसे में भर्ती में देरी का यह मामला सरकार के लिए फिर फजीहत व परेशानी का सबब बन सकता है।