Tuesday 11 September 2012


शिक्षा अधिकारियों पर भी करें कार्रवाई : कोर्ट
Text View 
Image View
 
Post E-Mail 
Save 
Post Comment 
Zoom Page 
1
2
3
4
5
Text Size
 
 

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि नियमों को ताक पर रखकर 719 अतिथि अध्यापक नियुक्त करने वाले सभी शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने सरकार को छह सप्ताह के भीतर दोषी अधिकारियों से गेस्ट टीचरों को दिए गए वेतन की वसूली का भी आदेश दिया।
सोमवार को सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार ने कोर्ट में गेस्ट टीचर के खिलाफ की गई कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जिस पर कोर्ट ने संतोष जताते हुए सरकार को कहा कि हटाए गए 192 गेस्ट टीचर के अलावा जिन टीचर के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। सरकार ने कोर्ट को बताया कि 719 अतिथि अध्यापकों में से हाई कोर्ट के निर्देश अनुसार 539 के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। नियुक्ति करने वाले 130 स्कूल मुखिया और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और इनके खिलाफ विभाग ने आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ प्रदेश में जेबीटी व टीजीटी अध्यापकों की भर्ती में देरी का मामला आखिरकार पांच महीने बाद फिर सुप्रीम कोर्ट पहंुच गया है। आदेश के बाद भी निर्धारित समय में नियुक्ति प्रक्रिया पर काम नहीं होने के कारण सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है। कोर्ट द्वारा जल्द ही इस पर सुनवाई की जानी है। नियमित शिक्षक भर्ती के संबंध में 20 मार्च को शिक्षा विभाग की मुख्य सचिव सुरीना राजन द्वारा दिए गए भर्ती शेड्यूल व शपथपत्र के आधार पर ही हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को भर्ती के लिए 322 दिन का समय और दिया था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी साफ कर दिया था कि दिए गए शेड्यूल व समय सीमा का पालन न होने पर इसे गंभीर अवमानना माना जाएगा। अतिथि अध्यापकों के कार्यकाल को आगे बढ़ाने से हाई कोर्ट के इन्कार के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया, जिस पर 30 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को थोड़ी राहत देते हुए अतिथि अध्यापकों को 322 दिन और सेवा में रखने की अनुमति दे दी थी। परंतु सुप्रीम कोर्ट ने भी नियमित शिक्षक भर्ती के संबंध में हाई कोर्ट के आदेश में उल्लेखित तय शेड्यूल व समय सीमा का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट में 20 मार्च को शिक्षा विभाग की मुख्य सचिव द्वारा दिया गया शपथपत्र मुख्यत: जेबीटी व टीजीटी अध्यापकों के ही संबंध में था क्योंकि याचिकाकर्ता ने शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने को प्रमुख आधार बनाते हुए कक्षा 1 से 8 तक के लिए नियमित शिक्षकों की भर्ती व खाली पदों का मुद्दा उठाया था। हाई कोर्ट द्वारा दी गई 322 दिन की समय सीमा व उस पर सुप्रीम कोर्ट की मोहर लगने के बाद भी जेबीटी व टीजीटी की भर्ती प्रक्रिया शुरू न करने व सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना न होने के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दी गई है। ऐसे में भर्ती में देरी का यह मामला सरकार के लिए फिर फजीहत व परेशानी का सबब बन सकता है।

No comments:

Post a Comment