Thursday, 26 April 2012

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आर्थिक पिछड़े की परिभाषा नहीं दे पाई सरकार
चंडीगढ़, जागरण संवाददाता : आíथक पिछड़े वर्ग की परिभाषा क्या है, प्रदेश सरकार को अभी तक इसे तय करने में नाकाम रही है। बुधवार को मामले की सुनवाई के कोर्ट के सवाल पर सरकार कोई जवाब नहीं दे पाई। जिस पर कोर्ट ने सरकार को इस बाबत राज्य के किसी भी विभाग या केंद्र सरकार द्वारा जारी परिभाषा के आधार पर आíथक पिछड़े वर्ग की परिभाषा तय करने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
मामले में याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि प्रदेश में आरटीई के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 25 प्रतिशत बच्चों में केवल बीपीएल कार्ड होल्डर को ही निजी स्कूलों में दाखिला दिया जा रहा है जबकि बीपीएल व आर्थिक रूप से कमजोर दोनों अलग-अलग श्रेणी है। कोर्ट ने जब इस विषय पर जब सरकार के वकील से स्पष्टीकरण मांगा था तो वो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। जिस पर कोर्ट ने सरकार से आर्थिक रूप से कमजोर की पूरी परिभाषा तय करने को कहा है। सरकार ने कोर्ट में बताया कि शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूलों को निर्देश दिए हुए है कि अगर हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट के तहत प्रवेश देने में किसी स्कूल ने नियम को तोड़ा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने यह जानकारी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दी। याचिका में मान्यता प्राप्त स्कूलों में हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट के तहत आíथक पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए जो 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई उनके बारे में पूछा गया है।

स्कूलों को मिले 477 प्राचार्य
अंबाला, वरिष्ठ संवाददाता : खटाई में पड़ी दिख रही प्राचार्यो की नियुक्ति का रास्ता लगभग साफ हो गया है। शिक्षा विभाग ने मंगलवार देर रात 477 कर्मचारियों को पदोन्नति का तोहफा दे दिया। इनमें 265 लेक्चरर व 212 हेडमास्टर शामिल हैं।
विभाग ने मंगलवार देर रात लेक्चरर व हेडमास्टर की पदोन्नति लिस्ट इंटरनेट पर जारी करते हुए तमाम जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजी है। इसके अनुसार 94 लेक्चरर व 87 हेडमास्टर को स्वतंत्र रूप से प्राचार्य बनाया गया है। 171 लेक्चरर व 125 हेडमास्टर को तत्काल कार्यवाहक के रूप में प्राचार्य (सीडीसी) का पद सौंपा गया है। सीडीसी प्राचार्यो को स्वतंत्र भार मिलने तक लेक्चरर व मास्टर के ग्रेड पर ही काम करना होगा। सबसे ज्यादा हिसार के 18 लेक्चरर को तथा सबसे कम मेवात के लेक्चरर को प्रिंसिपल बनाया गया है।
हेडमास्टर से प्रिंसिपल सबसे ज्यादा भिवानी व सबसे कम मेवात में बनाए गए हैं। गौरतलब है कि 17 अप्रैल को पंचकूला के इंद्रधनुष ऑडोटोरियम में प्राचार्यो के पदों के लिए काउंसिलिंग की गई थी। इसके लिए 615 लेक्चरार व हेडमास्टर को बुलाया गया था। कुछ शिक्षकों ने विभाग पर काउंसिलिंग के दौरान गड़बड़ी करने का भी आरोप लगाया था। इसके अलावा हाई कोर्ट में यह मामला विचाराधीन है, जिस पर सुनवाई 26 अप्रैल को होनी है।

थोक भाव में तबादलों से क्लर्को में हड़कंप
अंबाला, वरिष्ठ संवाददाता : शिक्षा निदेशालय ने बुधवार को थोक भाव में 488 क्लर्को के तबादले कर दिए। तबादले की सूची में शामिल क्लर्को को बृहस्पतिवार को रिलीव करने के आदेश दिए गए हैं। रिलीव में देरी करने पर जिले में पदस्थ अधिकारियों की जिम्मेवारी तय होगी।
शिक्षा निदेशालय ने तत्काल प्रभाव से प्रदेश भर के जिला शिक्षा कार्यालय में पदस्थ क्लर्को के तबादले कर नए स्टेशन आवंटित कर दिए। अंबाला जिले में 26, भिवानी में 35, फरीदाबाद में 18, फतेहाबाद में 17, गुड़गांव में 21, हिसार में 35, झज्जर में 22, जींद में 26, कैथल में 24, करनाल में 27, कुरुक्षेत्र में 23, महेंद्रगढ़ में 26, मेवात में 21, पलवल में 16, पंचकूला में 12, पानीपत में 20, रेवाड़ी में 23, सिरसा में 26, सोनीपत में 29 व यमुनानगर में 19 क्लर्को के स्थानांतरण कर दिए गए। तबादले की सूची में शामिल क्लर्क जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में पदस्थ हैं। डीईओ कार्यालय पानीपत में कार्यरत जगजीत को गोयलाखुर्द, ईश्वर सिंह को नांगलखेड़ी व दीपक कौशिक को कालखा राजकीय स्कूल में स्थानांतरित किया गया है। डीईईओ कार्यालय में पदस्थ संदीप को सीक, राजेश राठी को अहर, रामकरण को उग्राखेड़ी, दीपेंद्र मोर को गांजबड़, सुनील कुमार को सिवाह व प्रवीण कुमारी को वीवर्स कालोनी स्कूल में तबादला कर दिया गया। शिक्षा निदेशालय से जारी पत्र में तबादले की सूची में शामिल 488 क्लर्को को तत्काल प्रभाव से नए स्टेशन ज्वाइन करने के आदेश जारी किए गए हैं।
सेवापंजिका में दर्ज होगा संशोधित वेतनमान
     नवीन कुमार, सिरसा
फरवरी से जून तक वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ पाने वाले तमाम कर्मचारियों को दोहरा फायदा होने वाला है। प्रदेश सरकार ने दोबारा सेवा पंजीका में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इससे 2006 से पूर्व नियुक्त हुए हजारों कर्मचारियों को एक मुश्त साढ़े छह साल का एरियर दिया जाएगा।
छठे वेतन आयोग की सिफारिश के बाद कर्मचारियों के मूल वेतन में 1.86 गुणा की बढ़ोतरी की गई थी। इसके साथ ही कर्मचारियों को हर साल लगने वाली वार्षिक इंक्रीमेंट की तिथि में भी फेरबदल किया गया था। 2006 से पूर्व सभी सरकारी कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि नियुक्ति तिथि के आधार पर दी जाती थी। नए संशोधित वेतनमान लागू होने के बाद कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि जुलाई में कर दी गई थी, जिससें एक तरफ जुलाई से जनवरी के बीच नियुक्त हुए कर्मचारियों को छह माह का लाभ हो रहा था, जबकि दूसरी तरफ फरवरी से जून के बीच नियुक्त हुए हजारों कर्मचारियों को छह माह का नुकसान हो रहा था। अब नए संशोधित वेतनमान के अनुसार जिन कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि फरवरी से जून के बीच लगती थी उन सभी कर्मचारियों को एक और इंक्रीमेंट का दिया जाएगा। यह इंक्रीमेंट पुराने बेसिक पे के आधार पर दी जाएगी। इससे कर्मचारियों को हर माह औसतन साढ़े तीन सौ रुपये का लाभ मिलेगा।
गौरतलब है कि सरकार हर साल कर्मचारियों की बेसिक पे स्केल में तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी करती है। छठे वेतन आयोग लागू होने के पूर्व इन कर्मचारियों का मात्र एक इंक्रीमेंट ही पुराने पे स्केल पर लगेगी। इससे जुलाई के अतिरिक्त जनवरी माह में भी एक इंक्रीमेंट दी जाएगी।
विभाग फिर कठघरे में
हरियाणा का शिक्षा विभाग अपनी प्रभावहीन कार्यशैली, दायित्व निर्वाह की कमजोरी और सुस्ती के लिए एक बार फिर कठघरे में आ गया है। उच्च न्यायालय ने कई कारणों से उसे फटकार लगाई है जिससे लगता है कि यदि सुधार न किया गया तो शिक्षा क्षेत्र में अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है। विभाग की लापरवाही के कारण पिछले वर्ष भर्ती हुए नौ हजार जेबीटी अध्यापकों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। इनके अध्यापक पात्रता परीक्षा यानी एचटेट प्रमाणपत्र की जांच का हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष आदेश दिया था लेकिन कथित सक्रियता, कार्य निष्पादन की तत्परता का आलम देखिये कि आठ माह के दौरान केवल 48 अध्यापकों के प्रमाणपत्र ही जांचे जा सके। इसका अर्थ यह हुआ कि यदि यही गति रही तो पूरे प्रमाणपत्रों की जांच में तो दशकों लग जाएंगे या ऐसा भी हो सकता है कि जेबीटी अध्यापकों की रिटायरमेंट के बाद ही जांच रिपोर्ट आए। सरकार को स्वयं समझना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है कि बार-बार शिक्षा विभाग मजाक का पात्र बन रहा है। सरकार स्वत: संज्ञान लेकर विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही? कोर्ट के आदेशानुसार सभी नौ हजार जेबीटी अध्यापकों के प्रमाणपत्रों की जांच होगी और कमी पाए जाने पर नियुक्ति रद्द भी की जा सकती है। ऐसा संभवत: पहली बार होगा कि सभी नियुक्त अध्यापकों को प्रतिवादी बनाया जाएगा। लग तो यही रहा है कि समन्वय के स्तर पर शिक्षा विभाग में भारी विसंगति एवं विरोधाभास है।
योजनाएं जब एक-दूसरी की उपयोगिता की प्रासंगिकता पर प्रश्न उठाने लगें तो माना जाना चाहिए कि कहीं न कहीं गंभीर चिंतन-मनन या पुन: समीक्षा की आवश्यकता है। यहां तो योजनाओं के साथ तत्परता का मामला भी जुड़ा है। नियुक्ति प्रक्रिया की तमाम वैधानिक औपचारिकताएं आखिर क्यों पूरी नहीं की गईं? यदि एक भी एचटेट प्रमाणपत्र में धांधली या अनियमितता पाई गई तो समूची प्रक्रिया और सरकार की साख घेरे में आ जाएगी। गेस्ट टीचरों पर पहले से ही सवाल उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार 25 हजार और अध्यापकों की नियुक्ति करने जा रही है। यदि खामियों,अपरिपक्वता, दिशाहीनता का सिलसिला इसी तरह चलता रहा तो कई ऐसे चक्रव्यूह खड़े हो जाएंगे जिनसे बाहर निकलने का कोई रास्ता सरकार को नजर नहीं आएगा।
पदोन्नति के लिए पात्रता परीक्षा बनेगी रोड़ा
नरेश पंवार, कैथल
शिक्षा विभाग में कार्यरत करीब 80 हजार जेबीटी, सीएंडवी और अध्यापकों के उच्च पदों पर पदोन्नति या नियमित भर्ती के लिए पात्रता परीक्षा की योग्यता ने ग्रहण लगा दिया है। सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन में यह स्पष्ट है कि पदोन्नति प्राप्त करने के लिए इन अध्यापकों को पात्रता परीक्षा पास करनी पड़ेगी। इस परीक्षा को पास नहीं करने की सूरत में अध्यापकों को पदोन्नति से वंचित रहना पड़ेगा। एसएस मास्टर के पदों में जेबीटी तथा सीएंडवी अध्यापकों की पदोन्नति का कोटा 50 प्रतिशत है तो गणित व विज्ञान पदों पर 20 प्रतिशत कोटा दिया जाता है। एसएस का कोटा घटा कर 33 प्रतिशत वहीं, विज्ञान व गणित पदों के लिए कोटा बढ़ाकर 33 प्रतिशत किया गया है।
अध्यापक नहीं करेंगे आवेदन : शिक्षा विभाग में ठेके पर भर्ती करने के आदेशों के कारण विभाग में कार्यरत नियमित अध्यापक नई भर्ती में आवेदन के इच्छुक नहीं रहेंगे क्योंकि नई भर्ती सरकार द्वारा ठेके पर की जाएगी। इसलिए कोई अध्यापक आधे वेतन व ठेके पर काम क्यों करेगा।
इसके पूर्व नियमित भर्ती के समय भारी संख्या में कार्यरत अध्यापक भी उच्च पदों पर नियुक्ति के लिए विभाग के माध्यम से आवेदन करते थे, लेकिन इस बार उन अध्यापकों के सपनों पर सरकार पानी फेरने की तैयारी कर रही है।


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