एनसीटीई द्वारा बनाए गए टीईटी एक्ट में राज्य सरकारों को अधिकार
विभागीय
सूत्रों के मुताबिक एनसीटीई द्वारा बनाए गए टीईटी एक्ट में राज्य सरकारों
को यह अधिकार है कि वह 31 मार्च 2015 तक शिक्षकों की भर्त्ती करने के लिए
नियमों को शिथिल कर सकती है। बताते हैं कि किसी भी राज्य सरकार ने केन्द्र
सरकार से बीएड डिग्रीधारकों के लिए टीईटी को और समय देने का अनुरोध नहीं
किया है। केवल उत्तर प्रदेश ने केन्द्र सरकार से 31 मार्च 2015 तक समय
बढ़ाने की फरियाद की है। बहरहाल सवाल पैदा होता है कि क्या प्रदेश में
टीईटी एक्ट के प्रावधानों को समझने में नासमझी हुई है? या फिर मामले को
उलझाने के लिए यह सब नूरा कुश्ती चल रही है।
सहारनपुर: कई
राज्यों में टीईटी प्रक्रिया परवान नहीं चढ़ सकी है। केवल उत्तर प्रदेश ने
केंद्र सरकार से मार्च 2015 तक बीएड डिग्रीधारकों के लिए समय सीमा बढ़ाने
का अनुरोध किया है, जबकि टीईटी एक्ट में नियमों को शिथिल कर भर्त्ती का
अधिकार राज्य सरकार के पास है। नियमों के उलटफेर में उलझी प्रक्रिया के
भविष्य पर प्रश्नचिन्ह् लग रहा है।
प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में शिक्षकों की भर्त्ती के मानक तैयार करने के
लिए एनसीटीई द्वारा टीईटी को अनिवार्य किया गया है। हालांकि इसे पात्रता
परीक्षा की श्रेणी में शामिल किया गया है, लेकिन साथ ही राज्य सरकारों को
छूट दी गई है कि वह इसके आधार में बदलाव कर सकते हैं। बता दें कि प्रदेश
में तत्कालीन बसपा सरकार ने टीईटी की मेरिट को ही शिक्षक नियुक्ति का आधार
बना दिया था। कई पेचों में उलझी यह प्रक्रिया अभी तक लटकी है।
कई राज्यों में उलझी है प्रक्रिया
टीईटी से प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया अभी तक कई राज्यों में
परवान नहीं चढ़ सकी है। सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में पैरा टीचर्स को
लेकर मामला फंसा है। इसके अलावा पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड व
छत्तीसगढ़ आदि में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। बताया जाता है कि एक जनवरी
2012 तक टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारकों की शिक्षक पदों पर नियुक्ति की
प्रक्रिया अधिकांश राज्य पूरी नहीं कर सके हैं। उत्तर प्रदेश में कानूनी
पेंच व घोटाले के भंवर में मामला फंसा है।
सूत्रों के मुताबिक एनसीटीई द्वारा बनाए गए टीईटी एक्ट में राज्य सरकारों
को यह अधिकार है कि वह 31 मार्च 2015 तक शिक्षकों की भर्त्ती करने के लिए
नियमों को शिथिल कर सकती है। बताते हैं कि किसी भी राज्य सरकार ने केन्द्र
सरकार से बीएड डिग्रीधारकों के लिए टीईटी को और समय देने का अनुरोध नहीं
किया है। केवल उत्तर प्रदेश ने केन्द्र सरकार से 31 मार्च 2015 तक समय
बढ़ाने की फरियाद की है। बहरहाल सवाल पैदा होता है कि क्या प्रदेश में
टीईटी एक्ट के प्रावधानों को समझने में नासमझी हुई है? या फिर मामले को
उलझाने के लिए यह सब नूरा कुश्ती चल रही है।
सहारनपुर: कई
राज्यों में टीईटी प्रक्रिया परवान नहीं चढ़ सकी है। केवल उत्तर प्रदेश ने
केंद्र सरकार से मार्च 2015 तक बीएड डिग्रीधारकों के लिए समय सीमा बढ़ाने
का अनुरोध किया है, जबकि टीईटी एक्ट में नियमों को शिथिल कर भर्त्ती का
अधिकार राज्य सरकार के पास है। नियमों के उलटफेर में उलझी प्रक्रिया के
भविष्य पर प्रश्नचिन्ह् लग रहा है।
प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में शिक्षकों की भर्त्ती के मानक तैयार करने के
लिए एनसीटीई द्वारा टीईटी को अनिवार्य किया गया है। हालांकि इसे पात्रता
परीक्षा की श्रेणी में शामिल किया गया है, लेकिन साथ ही राज्य सरकारों को
छूट दी गई है कि वह इसके आधार में बदलाव कर सकते हैं। बता दें कि प्रदेश
में तत्कालीन बसपा सरकार ने टीईटी की मेरिट को ही शिक्षक नियुक्ति का आधार
बना दिया था। कई पेचों में उलझी यह प्रक्रिया अभी तक लटकी है।
कई राज्यों में उलझी है प्रक्रिया
टीईटी से प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया अभी तक कई राज्यों में
परवान नहीं चढ़ सकी है। सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में पैरा टीचर्स को
लेकर मामला फंसा है। इसके अलावा पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड व
छत्तीसगढ़ आदि में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। बताया जाता है कि एक जनवरी
2012 तक टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारकों की शिक्षक पदों पर नियुक्ति की
प्रक्रिया अधिकांश राज्य पूरी नहीं कर सके हैं। उत्तर प्रदेश में कानूनी
पेंच व घोटाले के भंवर में मामला फंसा है।
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार स्कूल टीचरों की नियुक्ति अब केवल ठेके पर ही करेगी। कांट्रैक्ट हर साल बढ़ेगा। पांच साल के कांट्रैक्ट की संतोषजनक सेवा के बाद ही इन्हें रेगुलर किए जाएगा।रेगुलर होने के बाद भी एक साल का प्रोबेशन पीरियड रहेगा। प्रदेश के इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने कांट्रेक्ट नियुक्ति वाले टीचरों को परफारमेंस के आधार पर रेगुलर करने का नियम बनाया है। इससे पहले सीधी स्थायी नियुक्ति होती थी।
हरियाणा स्कूल एजूकेशन (संबंधित ग्रुप) सर्विस रूल्स 2012 पिछले सप्ताह ही अधिसूचित किए हैं। इनके अनुसार अब www.teacherharyana.blogspot.in
जेबीटी टीचर का पदनाम प्राइमरी टीचर (पीआरटी),
मास्टर का पदनाम ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) और
लेक्चरर का पदनाम पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी)
कर दिया है। पीआरटी और टीजीटी पदों पर भरती एजेंसी के माध्यम से रेगुलर की तरह होगी, लेकिन भरती होने के बाद उन्हें एक साल के लिए कांट्रैक्ट पर रखा जाएगा। पीजीटी के खाली पदों पर 67 फीसदी भरती एजेंसी के माध्यम से होगी। उन्हें भी एक साल के लिए कांट्रैक्ट पर रखा जाएगा। शेष 33 फीसदी पदों पर टीजीटी से प्रमोट कर पीजीटी बनाया जाएगा।
संबंधित खबर पेज 11 पर
•इसे हम ठेके पर नियुक्ति नहीं कहेंगे। अलबत्ता, यह भरती तो रेगुलर होगी, लेकिन उन्हें एक-एक साल कर संतोषजनक सर्विस पांच साल कांट्रैक्ट पर पूरी करनी होगी। उनकी परफारमेंस के आधार पर उन्हें पांच साल के बाद रेगुलर कर दिया जाएगा। यह पहली बार प्रावधान किया गया है। इससे कांट्रैक्ट पर रखे टीचर अच्छे से पढ़ाई कराएंगे और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
-एसपी सरो, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, हरियाणा
ये मिलेंगी छुट्टियां
कांट्रैक्ट पर रखे टीचरों को हर महीने सिर्फ एक कैजुअल लीव मिलेगी जो कैलेंडर वर्ष में कभी भी ली जा सकेगी। इसके अलावा किसी अन्य प्रकार की कोई छुट्टी नहीं मिलेगी। चिकित्सा प्रतिपूर्ति और एलटीसी भी नहीं मिलेगा, लेकिन प्रसूति अवकाश मिलेगा। अगर पांच दिन लगातार बिना बताए टीचर गैरहाजिर रहा तो कांट्रैक्ट स्वयं समाप्त हो जाएगा।कांट्रैक्ट पर रखे किसी भी टीचर का तबादला नहीं होगा। अगर सरकार ऐसे टीचरों को कहीं भेजती है, उस हालत में उन्हें टीएडीए दिया जाएगा।
न वेतन पूरा और न पूरी छुट्टियां मिलेंगी
नहीं मिलेंगे भत्ते
कांट्रैक्ट के दौरान
पीआरटी टीचर को बेसिक पे और ग्रेड पे यानी 9300 + 4200 = 13500 रुपये प्रति महीना मिलेंगे। डीए नहीं मिलेगा।
टीजीटी टीचर को बेसिक पे और ग्रेड पे यानी 10230 + 4600 = 14830 रुपये प्रति महीना होगा।
पीजीटी को बेसिक पे और ग्रेड पे यानी 12090 + 4800 = 16890 रुपये प्रति महीना मिलेंगे। हर साल कांट्रैक्ट बढ़ने के साथ न्यूनतम पे बैंड और ग्रेड पे का 3 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा किसी को भी डीए, मकान किराया भत्ता, मेडिकल भत्ता नहीं मिलेगा और न ही कोई अन्य प्रतिपूर्ति हो
हरियाणा स्कूल एजूकेशन (संबंधित ग्रुप) सर्विस रूल्स 2012 पिछले सप्ताह ही अधिसूचित किए हैं। इनके अनुसार अब www.teacherharyana.blogspot.in
जेबीटी टीचर का पदनाम प्राइमरी टीचर (पीआरटी),
मास्टर का पदनाम ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) और
लेक्चरर का पदनाम पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी)
कर दिया है। पीआरटी और टीजीटी पदों पर भरती एजेंसी के माध्यम से रेगुलर की तरह होगी, लेकिन भरती होने के बाद उन्हें एक साल के लिए कांट्रैक्ट पर रखा जाएगा। पीजीटी के खाली पदों पर 67 फीसदी भरती एजेंसी के माध्यम से होगी। उन्हें भी एक साल के लिए कांट्रैक्ट पर रखा जाएगा। शेष 33 फीसदी पदों पर टीजीटी से प्रमोट कर पीजीटी बनाया जाएगा।
संबंधित खबर पेज 11 पर
•इसे हम ठेके पर नियुक्ति नहीं कहेंगे। अलबत्ता, यह भरती तो रेगुलर होगी, लेकिन उन्हें एक-एक साल कर संतोषजनक सर्विस पांच साल कांट्रैक्ट पर पूरी करनी होगी। उनकी परफारमेंस के आधार पर उन्हें पांच साल के बाद रेगुलर कर दिया जाएगा। यह पहली बार प्रावधान किया गया है। इससे कांट्रैक्ट पर रखे टीचर अच्छे से पढ़ाई कराएंगे और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
-एसपी सरो, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, हरियाणा
ये मिलेंगी छुट्टियां
कांट्रैक्ट पर रखे टीचरों को हर महीने सिर्फ एक कैजुअल लीव मिलेगी जो कैलेंडर वर्ष में कभी भी ली जा सकेगी। इसके अलावा किसी अन्य प्रकार की कोई छुट्टी नहीं मिलेगी। चिकित्सा प्रतिपूर्ति और एलटीसी भी नहीं मिलेगा, लेकिन प्रसूति अवकाश मिलेगा। अगर पांच दिन लगातार बिना बताए टीचर गैरहाजिर रहा तो कांट्रैक्ट स्वयं समाप्त हो जाएगा।कांट्रैक्ट पर रखे किसी भी टीचर का तबादला नहीं होगा। अगर सरकार ऐसे टीचरों को कहीं भेजती है, उस हालत में उन्हें टीएडीए दिया जाएगा।
न वेतन पूरा और न पूरी छुट्टियां मिलेंगी
नहीं मिलेंगे भत्ते
कांट्रैक्ट के दौरान
पीआरटी टीचर को बेसिक पे और ग्रेड पे यानी 9300 + 4200 = 13500 रुपये प्रति महीना मिलेंगे। डीए नहीं मिलेगा।
टीजीटी टीचर को बेसिक पे और ग्रेड पे यानी 10230 + 4600 = 14830 रुपये प्रति महीना होगा।
पीजीटी को बेसिक पे और ग्रेड पे यानी 12090 + 4800 = 16890 रुपये प्रति महीना मिलेंगे। हर साल कांट्रैक्ट बढ़ने के साथ न्यूनतम पे बैंड और ग्रेड पे का 3 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा किसी को भी डीए, मकान किराया भत्ता, मेडिकल भत्ता नहीं मिलेगा और न ही कोई अन्य प्रतिपूर्ति हो
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