Monday 16 April 2012

chat or email pr rahegi nazar+ har ladki ko school bhejne ka lakshya


एक-एक मेल, सर्च, चैट..कोई देख रहा है
अंशुमान तिवारी, नई दिल्ली फेसबुक, ट्विटर या यू-ट्यूब से ई-मेल तक पूरी वेब दुनिया पर शिकंजा कसने में सरकार को जरा भी देर नहीं लगेगी। देश में इंटरनेट मॉनीटरिंग की अब तक की सबसे बड़ी परियोजना पर अमल शुरू हो गया है। अब इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की पहचान ही नहीं बल्कि वेब पर संवाद सामग्री (कंटेंट) पर भी पैनी नजर रखी जा रही है। एक-एक क्लिक, एक-एक सर्च, अपडेट, चैट और मेल को कोई देख रहा है। पूरी योजना को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की मंजूरी मिल गई है। इस अभियान में खुफिया एजेंसियों का पूरा दस्ता लगा है। स्थलीय नेटवर्क से लेकर उपग्रह और समुद्री केबल तक सभी जगह इंटरनेट ट्रैफिक मॉनीटरिंग प्रणाली लगाई जा रही है। उन्हें इनक्रिप्टेड (कूट) संदेश खोलने और कंटेंट को जांचने के एक केंद्रीय तंत्र से जोड़ा जा रहा है। लगभग 450 करोड़ रुपये के इस अभियान की तकनीकी कमान एनटीआरओ के हाथ है। आइबी, एनआइए, एमआइ, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), दूरसंचार विभाग, सी-डॉट, सूचना तकनीक विभाग, टेलीकॉम इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) इन मॉनीटरिंग प्रणालियों का संचालन करेंगे। आतंकी खतरों, साइबर सुरक्षा और गोपनीयता की जरूरतों के कारण खुफिया एजेंसियों, रक्षा और गृह मंत्रालय और एडवांस कंप्यूटिंग संस्थानों के बीच पिछले छह माह में कई बैठकें हुईं। इस अभियान के लिए एनटीआरओ को 20 करोड़ रुपये का शुरुआती बजट दिया गया है। पूरे अभियान में अहम पहलू उस अकूत कंटेंट की निगरानी है जो चैट, मेल, सोशल मीडिया, फोटो के जरिए वेब में तैरता है। इस निगरानी के लिए विशेष तकनीकों का इस्तेमाल होगा। इंटरनेट निगहबानी के लिए एक केंद्रीय मॉनीटरिंग सिस्टम के साथ एक टेलीकॉम टेस्टिंग एंड सिक्योरिटी प्रमाणन केंद्र भी होगा जो दूरसंचार नेटवर्क में लगाए जाने वाले उपकरणों को सुरक्षा स्वीकृति देगा।
हर लड़की को स्कूल-कॉलेज पहुंचाने का लक्ष्य
संजीव गुप्ता, झज्जर प्रदेश में हर लड़की स्कूल और कॉलेज पहुंचे, अब यह सरकार सुनिश्चित करेगी। इस राह की सबसे बड़ी बाधा परिवहन सेवा को लेकर राज्य सरकार दोहरे विकल्प पर विचार कर रही है। औपचारिक-प्रस्ताव भी तैयार है।जल्दी ही ठोस निर्णय ले लिया जाएगा। कक्षा छह से बारहवीं तक की छात्राओं को जहां साइकिल दी जाएगी वहीं उच्च संस्थानों के लिए बस या ऑटो का विकल्प तलाशा जाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश में लिंगानुपात ही नहीं, लड़कियों की शिक्षा दर भी चिंताजनक है। काफी लड़कियों की शिक्षा पांचवीं कक्षा के बाद छुड़वा दी जाती है तो कई की 8वीं के बाद। कॉलेज तक तो बहुत ही थोड़ी लड़कियां पहुंच पाती हैं। इसका एक बड़ा कारण लड़कियों के लिए घर से स्कूल या कॉलेज के बीच समुचित परिवहन सेवा नहीं होना है। ऐसे में राज्य सरकार ने लड़कियों को शिक्षित करने के लिए उक्त समस्या को समूल नष्ट करने का निर्णय लिया है। जागरण से बातचीत में राज्य की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने रविवार को अपने झज्जर निवास पर बताया कि छठी से 12वीं कक्षा तक की सभी छात्राओं को सरकार की ओर से साइकिल देने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। फिलहाल इस बाबत अनुमानित खर्च का एस्टीमेट लगाया जा रहा है। दूसरी तरफ उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए सरकार बस या ऑटो के विकल्प पर विचार कर रही है। मालूम हो कि पूर्व में भी स्कूली छात्राओं को साइकिल दी जाती थी किन्तु सिर्फ छठी कक्षा में। बाद में यह योजना भी बंद हो गई थी।

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