हरियाणा में बर्खास्त सिपाहियों की नौकरी का रास्ता साफ
चंडीगढ़। प्रदेश की जेलों में एक हजार वार्डर भरती करने को सरकार की ओर से हरी झंडी मिल गई है। यह भरती हरियाणा पुलिस से बर्खास्त 1600 सिपाहियों में से ही की जाएगी। भरती के लिए इस तरह का नियम बनाया गया है। इन जेल वार्डर की भरती विभागीय समिति ही करेगी, जबकि अभी तक यह भरती कर्मचारी चयन आयोग ही करता रहा है। इसके लिए सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंजूरी दे दी है।भजनलाल सरकार के समय भरती 1600 सिपाहियों को सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त करने के आदेश जारी किए थे। करीब दस साल से ये बर्खास्त सिपाही दोबारा नौकरी पर रखे जाने की मांग कर रहे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण इन्हें एडजस्ट नहीं किया जा सकता था। बर्खास्त सिपाहियों ने संगठन बनाया और आखिर में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से ‘कुछ’ करने को कहा। मुख्यमंत्री ने एक बार तो जेल वार्डर के खाली पदों पर सीधे एडजस्ट करने का फैसला किया था लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री कैप्टन अजय यादव ने प्रस्ताव नामंजूर कर दिया था।
इसके बाद तरीका ढूंढा गया और जेल वार्डर भरती के नियमों में बदलाव किया गया। मंत्रिमंडल से नियमों के बदलाव को मंजूरी दी गई। पहले जेल वार्डर के लिए दसवीं पास को आवेदन के योग्य माना जाता था। अब जो बदलाव किया गया है, उसके अनुसार जेल वार्डर के लिए वही योग्य होगा, जिसने हरियाणा पुलिस में कम से कम पांच साल सर्विस की हो।इस शर्त से बर्खास्त 1600 सिपाही ही योग्य होंगे। यह अलग बात है कि इनमें से कुछ की मौत हो चुकी है तो कुछ को कहीं और नौकरी मिल चुकी है। यानी जितने खाली पद जेल वार्डर के होंगे, उतने ही बर्खास्त सिपाही भरती होंगे।http://epaper.amarujala.com/svww_index.php
हाईकोर्ट ने आरटेट के फर्स्ट लेवल में उत्तीर्ण बीएड धारकों को थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती के फस्र्ट लेवल के योग्य नहीं माना है।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश एमएन भंडारी ने राजेश कुमार मीणा व अन्य की करीब एक हजार याचिकाओं को निस्तारित करते हुए कहा कि प्रार्थियों ने एनसीटीई की अधिसूचना को चुनौती नहीं दी है।कोर्ट ने कहा कि ऐसे में जो भी प्रार्थी अभ्यर्थी एक जनवरी 2012 के बाद वांछित योग्यता नहीं रखते हैं। उसे परीक्षा के योग्य नहीं माना जा सकता। क्योंकि ये एक जनवरी 2012 तक ही नियुक्ति के लिए योग्य थे। कोर्ट ने कहा कि विशेष तौर पर उस स्थिति में जब न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता में शिथिलता का अधिकार दो परिस्थितियों में दिया जाता है। या तो योग्यताधारी अभ्यर्थी विज्ञप्ति में दिए गए पदों से कम हों या कोर्स कराने वाले संस्थान नहीं हो।लेकिन यहां पर दोनों ही परिस्थितियां नहीं हैं। ऐसे में प्रार्थियों को नियमों में शिथिलता नहीं दी जा सकती। क्योंकि राज्य ने एनसीटीई से छूट का निवेदन किया था।
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