अब विभागाध्यक्ष कर्मचारियों को दे सकेंगे एडवांस
चंडीगढ़, जाब्यू : वित्त मंत्री एचएस चट्ठा ने सरकारी कर्मचारियों को दिए जा रहे मकान निर्माण अग्रिम एवं वाहन अग्रिम स्वीकृत करने की शक्तियां विभागाध्यक्षों को देने की घोषणा की है। कर्मचारियों को मकान निर्माण के लिए मकान निर्माण भत्ता, प्लाट की खरीद, निर्मित मकान, फ्लैट, मकान की मरम्मत व विस्तार तथा मोटर कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर, मोपेड, साइकिल की खरीद करने के लिए वाहन अग्रिम दिया जाता है। वित्त मंत्री ने शुक्रवार को यहां बताया कि सरकारी कर्मचारियों को ऐसे अग्रिम स्वीकृत करते समय वित्त विभाग आवश्यक स्वीकृतियां जारी करने के लिए सभी विभागाध्यक्षों को कोष प्रदान करेगा। यह कोष संबंधित बजट नियंत्रण अधिकारियों को विभिन्न योजनाओं के तहत ऑनलाइन प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सभी अग्रिम, जिनके लिए पहली और दूसरी किस्तें पहले ही जारी की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के नए मामलों को पहले आओ-पहले पाओ की नीति के आधार पर स्वीकृत किया जाए। इसके अतिरिक्त वित्त विभाग में प्राप्त मामलों को संबंधित विभागों को अलग से वापस भेजा जाता है। पहले इन मामलों पर कार्यवाही संबंधित विभाग द्वारा की जाएगी। इसके बाद संबंधित विभाग में प्राप्त अन्य मामलों पर कार्यवाही की जाएगी। मंत्री ने कहा कि ऋण और अग्रिम के मामलों की जांच उचित ढंग से की जाएगी। ऋण-राशि आवेदकों को विषयानुसार नियम एवं शर्तो के साथ वितरित की जाएगी।
चंडीगढ़, जाब्यू : वित्त मंत्री एचएस चट्ठा ने सरकारी कर्मचारियों को दिए जा रहे मकान निर्माण अग्रिम एवं वाहन अग्रिम स्वीकृत करने की शक्तियां विभागाध्यक्षों को देने की घोषणा की है। कर्मचारियों को मकान निर्माण के लिए मकान निर्माण भत्ता, प्लाट की खरीद, निर्मित मकान, फ्लैट, मकान की मरम्मत व विस्तार तथा मोटर कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर, मोपेड, साइकिल की खरीद करने के लिए वाहन अग्रिम दिया जाता है। वित्त मंत्री ने शुक्रवार को यहां बताया कि सरकारी कर्मचारियों को ऐसे अग्रिम स्वीकृत करते समय वित्त विभाग आवश्यक स्वीकृतियां जारी करने के लिए सभी विभागाध्यक्षों को कोष प्रदान करेगा। यह कोष संबंधित बजट नियंत्रण अधिकारियों को विभिन्न योजनाओं के तहत ऑनलाइन प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सभी अग्रिम, जिनके लिए पहली और दूसरी किस्तें पहले ही जारी की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के नए मामलों को पहले आओ-पहले पाओ की नीति के आधार पर स्वीकृत किया जाए। इसके अतिरिक्त वित्त विभाग में प्राप्त मामलों को संबंधित विभागों को अलग से वापस भेजा जाता है। पहले इन मामलों पर कार्यवाही संबंधित विभाग द्वारा की जाएगी। इसके बाद संबंधित विभाग में प्राप्त अन्य मामलों पर कार्यवाही की जाएगी। मंत्री ने कहा कि ऋण और अग्रिम के मामलों की जांच उचित ढंग से की जाएगी। ऋण-राशि आवेदकों को विषयानुसार नियम एवं शर्तो के साथ वितरित की जाएगी।
शारीरिक विकलांगों को सीधी भर्ती में मिलेगा तीन फीसद आरक्षण
चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : प्रदेश सरकार ने शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए सीधी भर्ती में आरक्षण के संबंध में नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन लोगों के लिए प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर सीधी भर्ती के मामले में तीन फीसद पद आरक्षित किए गए हैं। इनमें से एक-एक प्रतिशत पद नेत्रहीन या लो-विजन, बधिरों और शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए आरक्षित होंगे। इन्हें हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग और हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए निर्धारित आवेदन फीस एवं परीक्षा फीस की अदायगी से छूट होगी। सेवा/पदों में आरक्षण के लिए केवल वे व्यक्ति ही पात्र होंगे, जिनमें कम से कम 40 प्रतिशत प्रासंगिक शारीरिक अक्षमता है। राज्य सरकार द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड शारीरिक अक्षमता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सक्षम प्राधिकरण है जिसमें कम से कम तीन सदस्य होंगे। ग्रेड सी एवं डी के पदों के मामले में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए आरक्षण की गणना इन गु्रपों के कुल रिक्त पदों के आधार पर की जाएगी। खुली प्रतिस्पर्धा परीक्षा के अलावा किसी अन्य माध्यम से गु्रप सी एवं डी के पदों पर सीधी भर्ती के मामले में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को अधिकतम आयु सीमा में दस वर्ष (अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग के लिए 15 वर्ष) और गु्रप ए एवं बी के पदों के लिए पांच वर्ष (अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग के लिए दस वर्ष) की छूट दी जाएगी। खुली प्रतिस्पर्धा परीक्षा के माध्यम से गु्रप ए एवं बी के पदों पर सीधी भर्ती के मामले में दस वर्ष (अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग के लिए 15 वर्ष) की छूट दी जाएगी। शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए चिह्नित उपयुक्त पदों पर अधिकतम आयु सीमा की छूट लागू होगी चाहे वह पद आरक्षित हो या न हो।
स्कूल कैडर सर्विस रूल में संशोधन की मांग
चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो: हरियाणा स्कूल लेक्चरर्स एसोसिएशन (हसला) ने हरियाणा स्टेट एजूकेशन स्कूल कैडर (ग्रुप-बी) सर्विस रूल्स-2011 में संशोधन की मांग की है। हसला प्रदेश अध्यक्ष किताब सिंह मोर व महासचिव दलबीर पंघाल ने नई शिक्षक भर्ती में लेक्चरर का पदनाम बदलकर पीजीटी करने तथा प्रधानाचार्य की पदोन्नति में विभागीय परीक्षा आयोजित करने के शिक्षा विभाग के फैसले की निंदा की है। हसला प्रदेश अध्यक्ष किताब सिंह मोर ने शुक्रवार को यहां बताया कि 20 अप्रैल 2011 को हसला व सरकार के मध्य समझौते में यह मांग स्पष्ट रूप से मान ली गई थी कि लेक्चरर का पदनाम किसी भी कीमत पर बदला नहीं जाएगा। यह बात भी मानी गई थी कि प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति में कोई विभागीय परीक्षा नहीं होगी। इसके बावजूद शिक्षा विभाग ने वादाखिलाफी करते हुए सर्विस रूल घोषित कर दिए। उन्होंने कहा कि 21 वर्ष के लेक्चरर के अनुभव के बाद विभागीय परीक्षा का कोई औचित्य नहीं है। प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि सर्विस रूल्स-2011 में संशोधन कर प्रधानाचार्य की पदोन्नति में विभागीय परीक्षा समाप्त की जाए। पीजीटी पदनाम को समाप्त कर नई भर्ती में भी पदनाम लेक्चरर ही रखा जाए। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों का नामकरण दक्षिण के प्रांतों की तर्ज पर इंटर कॉलेज या राजकीय जूनियर कॉलेज रखा जाए। साथ ही नई शिक्षा नीति में प्रधानाचार्य व उपप्रधानाचार्य के पद पर शत प्रतिशत पदोन्नति केवल प्राध्यापकों से ही की जाए।
पदोन्नति में आरक्षण पर विचार करेगा केंद्र
चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सशक्तीकरण के लिए कार्य कर रही है। इन जातियों को सरकारी नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए सरकार गंभीरता से विचार करेगी। इस संबंध में जल्द ही उचित हल निकाला जाएगा। यह आश्वासन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को मिलने पहुंचे सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को दिया। प्रतिनिधिमंडल में हरियाणा की ओर से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव व सिरसा के सांसद डॉ. अशोक तंवर व राज्यसभा सदस्य ईश्वर सिंह विशेष रूप से शामिल थे। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को सौंपे मांग पत्र में संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण देकर संविधान के 85 वें संशोधन को लागू करने, विशेष कंपोनेंट प्लान को लागू करने, आरक्षण तथा न्यायपालिका में भी आरक्षण संबधी नियम को लागू करने की मांग की है। प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद सांसद डॉ. अशोक तंवर ने बताया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सभी दलों के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को एक मांग पत्र सौंपा है। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने संसदीय प्रतिनिधिमंडल के मांग पत्र पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का भरोसा दिया। सांसद तंवर ने बताया कि संविधान के 85वें संशोधन में अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए जो सुविधाएं दी हुई हैं। यदि 85वां संशोधन मूल रूप से क्रियान्वित किया जाए तो निश्चित रूप से इन जातियों के उत्थान में कांग्रेस सरकार की अहम भूमिका होगी।
No comments:
Post a Comment