जिला परियोजना संयोजक से मिले प्राथमिक शिक्षक
कैथल, जागरण संवाद केंद्र : अध्यापकों को एसएसए की ओर से आ रही परेशानी को दूर करने की मांग को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ का शिष्टमंडल मंगलवार को जिला प्रधान रोशन लाल पंवार की अध्यक्षता में जिला परियोजना संयोजक निर्मल तनेजा से मिला।
प्राथमिक स्कूलों में अभी तक पुस्तकें नहीं पहुंचने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि जितनी पुस्तकें उनके कार्यालय को प्राप्त हुई थी, वे सभी स्कूलों में भेज दी गई हैं। बकाया पुस्तकों के मिलते ही तुरंत स्कूलों में भेज दिया जाएगा। पुस्तकें के बकाया टाइटल भी जल्द भेजे जाने की मांग निदेशालय में भेज दी गई है।
प्राथमिक शिक्षक संघ ने जिला परियोजना संयोजक को स्कूलों में निर्माण कार्य करते समय अध्यापकों को आ रही परेशानी के बारे में बताया कि निर्माण कायरे में विभाग की ओर से तीसरी किस्त के लिए पांच प्रतिशत राशि ही बकाया रखी जाती है, लेकिन कैथल में 10 प्रतिशत राशि तीसरी किस्त के लिए काट ली जाती है। विभाग के जेई तथा एसडीओ अध्यापकों का सहयोग करने के बजाय उन पर दबाव बनाते हैं और किसी न किसी बहाने कमरों के लिए दी गई राशि में कटौती करते है। पंवार ने कहा कि कि निर्माण कायरे के लिए एक निर्धारित राशि उपलब्ध करवाई जाती है। इसमें अध्यापकों को कार्य पूरा करने के लिए कहा जाता है, लेकिन उसके साथ ही विभिन्न वस्तुओं की मात्रएं भी निर्धारित कर दी गई हैं।
यह दोनों कार्य एक साथ करना असंभव है। इसलिए या तो निर्माण कायरे के लिए राशि निर्धारित की जाए या प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं की मात्र। बाजार में ईंटों के रेट 4500 रुपये प्रति हजार हैं। वहीं, विभाग की ओर से इनका मूल्य 3900 रुपये रखा है। इसी प्रकार मजदूरी, शटरिंग, के रेट भी बाजार से काफी कम रखे गए हैं तथा मिट्टी की भराई के लिए कोई राशि उपलब्ध नहीं करवाई जाती है। लेकिन, विभाग के जेई तथा एसडीओ केवल विभाग की दी गई हिदायतों का बहाना लगाकर कई प्रकार की कटौती कर देते हैं जबकि निर्धारित राशि में काम पूरा न होने की स्थिति में किसी प्रकार की अतिरिक्त राशि का कोई प्रावधान नहीं है। राशि पूरी खर्च होने पर विभाग की ओर से अध्यापक पर कार्य पूरा करने का दबाव डाला जाता है। तीसरी किस्त काम पूरा होने के बाद भी कई महीने के बाद ही दिया जाता है, जिससे अध्यापकों में रोष पनप रहा है।
कैथल, जागरण संवाद केंद्र : अध्यापकों को एसएसए की ओर से आ रही परेशानी को दूर करने की मांग को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ का शिष्टमंडल मंगलवार को जिला प्रधान रोशन लाल पंवार की अध्यक्षता में जिला परियोजना संयोजक निर्मल तनेजा से मिला।
प्राथमिक स्कूलों में अभी तक पुस्तकें नहीं पहुंचने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि जितनी पुस्तकें उनके कार्यालय को प्राप्त हुई थी, वे सभी स्कूलों में भेज दी गई हैं। बकाया पुस्तकों के मिलते ही तुरंत स्कूलों में भेज दिया जाएगा। पुस्तकें के बकाया टाइटल भी जल्द भेजे जाने की मांग निदेशालय में भेज दी गई है।
प्राथमिक शिक्षक संघ ने जिला परियोजना संयोजक को स्कूलों में निर्माण कार्य करते समय अध्यापकों को आ रही परेशानी के बारे में बताया कि निर्माण कायरे में विभाग की ओर से तीसरी किस्त के लिए पांच प्रतिशत राशि ही बकाया रखी जाती है, लेकिन कैथल में 10 प्रतिशत राशि तीसरी किस्त के लिए काट ली जाती है। विभाग के जेई तथा एसडीओ अध्यापकों का सहयोग करने के बजाय उन पर दबाव बनाते हैं और किसी न किसी बहाने कमरों के लिए दी गई राशि में कटौती करते है। पंवार ने कहा कि कि निर्माण कायरे के लिए एक निर्धारित राशि उपलब्ध करवाई जाती है। इसमें अध्यापकों को कार्य पूरा करने के लिए कहा जाता है, लेकिन उसके साथ ही विभिन्न वस्तुओं की मात्रएं भी निर्धारित कर दी गई हैं।
यह दोनों कार्य एक साथ करना असंभव है। इसलिए या तो निर्माण कायरे के लिए राशि निर्धारित की जाए या प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं की मात्र। बाजार में ईंटों के रेट 4500 रुपये प्रति हजार हैं। वहीं, विभाग की ओर से इनका मूल्य 3900 रुपये रखा है। इसी प्रकार मजदूरी, शटरिंग, के रेट भी बाजार से काफी कम रखे गए हैं तथा मिट्टी की भराई के लिए कोई राशि उपलब्ध नहीं करवाई जाती है। लेकिन, विभाग के जेई तथा एसडीओ केवल विभाग की दी गई हिदायतों का बहाना लगाकर कई प्रकार की कटौती कर देते हैं जबकि निर्धारित राशि में काम पूरा न होने की स्थिति में किसी प्रकार की अतिरिक्त राशि का कोई प्रावधान नहीं है। राशि पूरी खर्च होने पर विभाग की ओर से अध्यापक पर कार्य पूरा करने का दबाव डाला जाता है। तीसरी किस्त काम पूरा होने के बाद भी कई महीने के बाद ही दिया जाता है, जिससे अध्यापकों में रोष पनप रहा है।
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